गॉड क्या है? गॉड एक शब्द है- एक संज्ञा है जो कि प्रकृति की उस शक्ति की तरफ इशारा करती है जो कि अदृश्य रूप में इस बह्यांड के जीवों में निहित है।
लेकिन यहां चर्चा गॉड की नहीं परमात्मा की है क्योंकि गॉड का पूरक है गॉडस, और इस संसार में जिसका पूरक है उसका विनाश निश्चित है। चाहे समय अंतरात कितना भी अधिक हो किन्तु अनंत नहीं हो सकता।
परमात्मा अर्थात परम + आत्मा, वह आत्मा है जो सभी जीवों की प्राणदायिनी है जिसके होने से. ही ब्रह्माण्ड हैं, वही परमात्मा है। उसका न तो कोई रूप है न रंग है न आकर है। कबीर साहब ने बहुत अच्छा वर्णन किया है-
मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे…….
मैं तो हूँ विश्वास में॥
मोको कहाँ ढूंढे रे बच्चे में तो तेरे पास में
न तीरथ में न मूरत में न एकांत निवास में
न मंदिर में मस्जिद में न कावे कैलाश में
परमात्मा एक पद है जहां समय की पहुंच नहीं है एक तरह से समझे एक ऐसा स्थान जहाँ समय की माप अनंत है “T” = “∞” अर्थात अगर आप उस पद में पहुंचते हैं तो आप कभी वापस जन्म नहीं लेंगे इस संसार में। आपका आवागमन मिट जायेगा। वैसे तो परमात्मा का व्याख्यान करना इस संसार में इस जिला के द्वारा संभव ही नहीं क्योंकि परमात्मा वह पद है जहाँ आपकी सोच’ भी पीछे छूट जाती है परमात्मा को केवल अनुभव किया जा सकता है और उसे अनुभव करने की यात्रा का ही नाम है – अंतर्विज्ञान यात्रा तथा इस कला का का नाम है सत्स्वरूप होने की कला।