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गुरुनानक देव जी की वाणी

सोरठी महला ३ ॥ भगति खजाना भगतन कउ

दिआ नाउ हरी धनु सचु सोइ ॥ अखुटु नाम धनु

कड़े निखुटे नहि किने न कीमति होइ नाम धनि

मुख उजले होए हरि पाइआ सचु सोइ ॥ 1 ॥ bमन

मेरे गुर सबदी हरि पाइआ जाई ॥ बिनु सबदै जगु

भुलदा फिरदा दरगाह मिले सजाइ ॥ रहाउ ॥ इसु

देही अंदरि पंच चोर वसहि काम क्रोध लोभ मोह

अहंकारा॥ अमृतु लुटहि मनमुख नहि बूझहि

कोई न सुणे पूकारा ॥ अँधा जगतु अंधु वरतारा

बाझ गुरु गुब्बारा ॥ 2 ॥

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