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गाय कि महत्ता के वैज्ञानिक/ आर्थिक/ पर्यावरणीय कारण

1. बायो गैस (गोबर गैस): एक गोबर गैस प्लांट से सात करोड़ टन लकड़ी बचाई जा सकती है अर्थात साढ़े तीन करोड़ वृक्षों को जीवन दान। साथ ही तीन करोड़ टन उत्सर्जित होने वाली CO2 को रोका जा सकता है।

2. CFL द्वारा प्रकाश: कानपूर कि एक गौशाला ने शोध उपरांत एक ऐसा CFL बल्ब बनाया है। जो गोमूत्र से चार्ज होने वाली बैटरी से जलता है। आधा लीटर गौ मूत्र से 28 घंटे C FL बल्ब जलता रहता है।

3. खाद गोबर गैस प्लांट से निकली गोबर कि सेलरी से कम्पोस्ट खाद केंचुआ खाद बन जाती है।

4. गोबर वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय के गोबर में B12 विटामिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो रेडियो धर्मिता को भी सोख लेता है। गाय के गोबर के कंडे का धुआं मचार भागने के काम आता है।

5. सींग प्राकृतिक ऊर्जा प्राप्ति गाय सींगों द्वारा करती है. यह प्राकृतिक ऊर्जा हेतु एंटीना होते हैं। गाय कि मृत्यु हो जाने के 45 वर्ष बाद तक ये सुरक्षित बने रहते हैं। इसका प्रयोग सिलिकॉन खाद बनाने में किया जाता है।

6. गोमूत्र कीटनाशकः प्रकृति में मौजूद 99% किट जीवाणु कृषि प्रणाली के मित्र हैं जिन्हें हमने जहरीले रसायनों द्वारा मार डाला है। गाय के गोबर + गोमूत्र वनस्पतियों मिलकर बने कीटनाशक मित्र जीवाणुओं को नष्ट नहीं करते हैं। गोमूत्र या खमीर बने छाछ से बने कीटनाशक (एक गाय का 100 एकड़ भूमि कि फसल कीटों से बचा सकता है और एक गाय का गोबर 7 एकड़ भूमि को खाद दे सकता है। इस प्रकार भारत देश की 84 लाख एकर कृषि भूमि को वर्तमान में कत्लखानों से बची 40 करोड़ गौ वंश प्राप्त होगा।


अन्य दवा: गौवर से चार्म रोगों का उपचारिष महत्व सर्वविदित है। प्राचीन काल में मकानों की दीवारों और भूमि को गाय के गोबर से लीपा पोता जाता था जिससे मजबूती के साथ मछर तथा कीटाणुओं तथा परजीविओं के हमलों को रोकता था। पूजा स्थल को गोबर से लीपने पर ही पवित्र मन जाता था।

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