भजन के साथ समाधि में कैसे जायें?

यह संसार एक श्रम है, समाधि उस श्रम से विश्राम का एक नाम॥

जाना नहीं है भजन स्वयं ले जायेगा जैसे कि नाव को नदी की धारा ले जाती है वैसे ही राम नाम की नौका आपकी सुरति को समाधि में ले जाती है।

अगर आप कोशिश करने लगे तो आप कभी सफल नहीं हो पाओगे। तो फिर प्रश्न है आपको क्या करना है और सही मायने में उत्तर पूछे तो आपको कुछ नहीं करना है। यही तो विशेष बात है ‘राज’ योग की आपको कुछ नहीं करना है। आप पूछेंगे कि भजन भी नहीं करना है तो हम कहेंगे कि शुरुआत में करना है फिर अपने आप होगा। नाव को नदी में तो उतारना ही पड़ेगा, सुरति को नाम से जोड़ना ही। पड़ेगा और एक बार यह प्रक्रिया शुरू हो गयी तब आनंद के अथाह सागर में आपका स्वागत है। यहीं से संतों ने शुरुआत बताई है सहज समाधि की, कि भजन स्वयं होता रहता है, रसना चलती रहती है। आप ध्यान दे, जैसा कि एक टाइपराइटर बिना देखे टाइप करता है ठीक उसी प्रकार आपकी सुरति नित्य सुमिरन करती रहती है व एक छोटा सा प्रयास और जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति – हे न अदभुत सांसारिक योग में आपको हठ के द्वारा ध्यान लगाना होता है। अनंत क्रियाए है ध्यान लगाने की किन्तु सब विफल क्योंकि जो चढ़ाया जाता है वह उतारा भी जा सकता है किन्तु जो स्वयं चढ़ जाता है उसका उतरना मुश्किल ही नहीं नामुमकीन है।

इस क्रम में लोगों का एक प्रश्र और आता है कि भजन कब करना है और कब नहीं। हमारे गुरु महाराज बहुत ही सरत उत्तर देते है कि जब आप सांस ले तब आप भजन करें क्यूंकि भजन का आधार स्वोस ही है। अगर आप स्वांस नहीं लेंगे तो भजन होगा ही नहीं। इसलिए संतों ने सुमिरन का समय बताया है कि आठों पहर चौसठ घड़ी हमे भजन में रत रहना चाहिए।

आदि काल से सबसे नवीन निर्गुण प्रेम धारा ने संसार में अनंत जीवों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। यह निर्गुण धारा मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब एवं महाराष्ट्र में विराट रूप में संचरित एवं पल्लवित हुई है और उत्तर प्रदेश में यह धारा कई जिलों यथा वनारस, बॉस बरेली रामपुर, शाहजहांपुर बदायूँ और पीलीभीत आदि में विराट रूप एवं भव्यता की ओर अग्रसर है।

यह राम नाम प्रेम धारा विगत 207 (2019 के अनुसार) वर्ष पहले राजस्थान से बॉस बरेली में पंथ के 8 वे सतगुरु (18 वर्ष की अखंड समाधि अवस्था प्राप्त) जी के द्वारा प्रसारित हुई जो अपने बड़े भाई को पुनर्जन्म के बाद) दिव्य दृष्टि के द्वारा खोजकर बॉस बरेली में लेने आते है (जीवनी के अनुसार)।

समाधि का अर्थ है कि आप बाहरी दुनिया से अनभिया हो जायें। एक तरह से नींद का परिचय फिर रूप जो आपको परमात्मा से जोड़ता है – समाधि है। आने वाले समय में समाधि के प्रकार पर चर्चा होगी।